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"उनकी साँसें मुझमें चल रहीं / लाल्टू" के अवतरणों में अंतर
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वे अनजान नहीं हैं उनकी साँसें मुझमें चल रहीं | वे अनजान नहीं हैं उनकी साँसें मुझमें चल रहीं | ||
घर बाज़ार धरती आसमान जहाँ भी | घर बाज़ार धरती आसमान जहाँ भी |
12:59, 24 मई 2010 के समय का अवतरण
वे अनजान नहीं हैं उनकी साँसें मुझमें चल रहीं
घर बाज़ार धरती आसमान जहाँ भी
आखिरी क्षणों में याद किया अपने प्रियजनों को जिन्होंने
वे यहाँ हैं बैठे इस स्टूल पर
लैपटॉप पर की दबा रहे यूनीकोड इनपुट
लेख जो संपादकीय के साथ के कालम में है
पढ़ रहा हूँ उम्र के बोझ में
अर्थव्यवस्था राजनीति जंग लड़ाई के बीच साँईनाथ हूँ मैं
विदर्भ का मर रहा किसान हूँ
ईराकी फिलस्तीनी हूँ
मर्द हूँ औरत हूँ
न आए अख़बार की हर ख़बर हूँ मैं।