भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नानी / दीनदयाल शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीनदयाल शर्मा }} {{KKCatBaalKavita}} <poem> नानी तू है कैसी नानी न…)
 
 
पंक्ति 14: पंक्ति 14:
 
एक था राजा एक थी रानी।
 
एक था राजा एक थी रानी।
  
नई बातें कहां से लाऊँ
+
नई बातें कहाँ से लाऊँ
 
तेरा मन कैसे बहलाऊँ।
 
तेरा मन कैसे बहलाऊँ।
  

19:06, 13 जून 2010 के समय का अवतरण

नानी तू है कैसी नानी
नहीं सुनाती नई कहानी।

नानी बोली प्यारे नाती
नई कहानी मुझे न आती।

मेरे पास तो वही कहानी
एक था राजा एक थी रानी।

नई बातें कहाँ से लाऊँ
तेरा मन कैसे बहलाऊँ।

तुम जानो कम्प्यूटर बानी
तुम हो ज्ञानी के भी ज्ञानी।

मैं तो हूँ बस तेरी नानी।
तुम्हीं सुनाओ कोई कहानी।।