भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नानी / दीनदयाल शर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नानी तू है कैसी नानी
नहीं सुनाती नई कहानी।

नानी बोली प्यारे नाती
नई कहानी मुझे न आती।

मेरे पास तो वही कहानी
एक था राजा एक थी रानी।

नई बातें कहाँ से लाऊँ
तेरा मन कैसे बहलाऊँ।

तुम जानो कम्प्यूटर बानी
तुम हो ज्ञानी के भी ज्ञानी।

मैं तो हूँ बस तेरी नानी।
तुम्हीं सुनाओ कोई कहानी।।