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"चाहता हूँ पागल भीड़ / मनोज श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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चाहता हूं पागल भीड
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रचनाकार | डा० मनोज श्रीवास्तव |
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प्रकाशक | विद्या श्री पब्लिकेशन्स |
वर्ष | 2006 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | |
पृष्ठ | 154 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- जिनके जलते हैं पुतले / मनोज श्रीवास्तव
- जब मैं पैदा हुआ था / मनोज श्रीवास्तव
- घर की लौंडिया नहीं है क्रान्ति / मनोज श्रीवास्तव
- इतना कुछ होता है यहां / मनोज श्रीवास्तव
- प्लेटफार्म पर प्रतीक्षा में / मनोज श्रीवास्तव
- मेरी मौत के बाद / मनोज श्रीवास्तव
- चाहता हूँ पागल भीड़ / मनोज श्रीवास्तव
- जागृति/ मनोज श्रीवास्तव
- अमरीकी दुम/ मनोज श्रीवास्तव
- बम मिला/ मनोज श्रीवास्तव
- शहर के कदमों पर मरती नदी का विलाप/ मनोज श्रीवास्तव
- लड़की, लाश और कूड़ा/ मनोज श्रीवास्तव
- पहाड़ों में आतंक / मनोज श्रीवास्तव
- पक्षी और युद्ध / मनोज श्रीवास्तव
- घाव/ मनोज श्रीवास्तव
- प्लेटफार्म के भिखमंगे/ मनोज श्रीवास्तव
- कवि-कुत्ते/ मनोज श्रीवास्तव
- जब छुट्टी पर घर जाऊंगा / मनोज श्रीवास्तव
- मुझे लग गया है/ मनोज श्रीवास्तव
- बंधन / मनोज श्रीवास्तव
- स्कायस्कोप/ मनोज श्रीवास्तव
- बचपन/ मनोज श्रीवास्तव
- राजभवन में कुत्ता / मनोज श्रीवास्तव
- सत्य / मनोज श्रीवास्तव
- बेकारी/ मनोज श्रीवास्तव
- अंतर का पत्थर / मनोज श्रीवास्तव
- भोर की कटोरी/ मनोज श्रीवास्तव
- मौसम की पेशगी/ मनोज श्रीवास्तव
- दु:ख / मनोज श्रीवास्तव
- सुरक्षा कवच/ मनोज श्रीवास्तव
- वहम/ मनोज श्रीवास्तव
- अच्छी कविताओं का हश्र/ मनोज श्रीवास्तव
- आश्वस्ति/ मनोज श्रीवास्तव
- प्रताडिता / मनोज श्रीवास्तव
- संगीन जुर्म/ मनोज श्रीवास्तव
- धौंस/ मनोज श्रीवास्तव
- दीमक/ मनोज श्रीवास्तव
- सबक/ मनोज श्रीवास्तव
- तृप्ति/ मनोज श्रीवास्तव
- पुरुष/ मनोज श्रीवास्तव
- दरवाज़े पर आ बैठा वसंत/ मनोज श्रीवास्तव
- पत्नी-१. गृह प्रवेश पर / मनोज श्रीवास्तव
- पत्नी-२. पति की मृत्यु पर/ मनोज श्रीवास्तव
- भगवान का उद्व्रजन / मनोज श्रीवास्तव
- बेशर्म कहानियां/ मनोज श्रीवास्तव
- अंदर का आदमी/ मनोज श्रीवास्तव