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गिलहरियाँ / अशोक लव

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{{KKRachna
|रचनाकार=अशोक लव
|संग्रह =लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान/ अशोक लव}}{{KKCatKavita‎}}
<poem>
 
नन्ही गिलहरियाँ
पेड़ों से उतरकर
झट से झपटती है
चट से चढ़ जाती है पेड़ों पर गिलहरियाँ
खूब ख़ूब चिढ़ाती हैं
खिसियाई बिल्ली
गर्दन नीचे किये किए खिसक जाती है
गिलहरियों कि की ओर बढ़ा देता हूँ
मित्रता का हाथ
उड़ेल देना चाहता हूँ
सम्पूरण सम्पूर्ण स्नेह
बहुत भली होती हैं गिलहरियाँ
पास आकर भाग जाती हैं गिलहरियाँ
</poem>
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