भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अचल कवि (अच्युतानंद)" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|नाम=अचल कवि (अच्युतानंद) | |नाम=अचल कवि (अच्युतानंद) | ||
|उपनाम= | |उपनाम= | ||
− | |जन्म= | + | |जन्म=अठारहवीं शताब्दी |
|जन्मस्थान=बिहार, भारत | |जन्मस्थान=बिहार, भारत | ||
|कृतियाँ= | |कृतियाँ= | ||
− | |विविध= | + | |विविध=कृष्णकवि के पुत्र और कवि लक्ष्मीनाथ परमहंस के परमप्रिय शिष्य । 107 वर्ष की आयु तक जीवित रहे। मिथिला-नरेश लक्ष्मीश्वर सिंह के दरबारी कवि थे। रायबहादुर लक्ष्मीनारायण सिंह (पंचगछिया)के प्रथम गुरू माने जाते हैं। मृदंगाचार्य और योगी के रूप में भी बड़ी ख्याति थी। |
|जीवनी=[[अचल कवि (अच्युतानंद) / परिचय]] | |जीवनी=[[अचल कवि (अच्युतानंद) / परिचय]] | ||
|अंग्रेज़ीनाम=Achal kavi (Achutanand) | |अंग्रेज़ीनाम=Achal kavi (Achutanand) |
21:47, 21 सितम्बर 2010 का अवतरण
अचल कवि (अच्युतानंद)
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
जन्म | अठारहवीं शताब्दी |
---|---|
जन्म स्थान | बिहार, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
कृष्णकवि के पुत्र और कवि लक्ष्मीनाथ परमहंस के परमप्रिय शिष्य । 107 वर्ष की आयु तक जीवित रहे। मिथिला-नरेश लक्ष्मीश्वर सिंह के दरबारी कवि थे। रायबहादुर लक्ष्मीनारायण सिंह (पंचगछिया)के प्रथम गुरू माने जाते हैं। मृदंगाचार्य और योगी के रूप में भी बड़ी ख्याति थी। | |
जीवन परिचय | |
अचल कवि (अच्युतानंद) / परिचय |
<sort order="asc" class="ul">
- विश्वव्याप्ति कमल मध्य विलसति है नीलवर्ण / अचल कवि (अच्युतानंद)
- हौ तूं भय हारणि दुःख विपति विदारिणी माँ / अचल कवि (अच्युतानंद)
- / अचल कवि (अच्युतानंद)
</sort>