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सारा दिन मैं खून में लथपथ रहता हूँ | सारा दिन मैं खून में लथपथ रहता हूँ | ||
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पपड़ी सी जम जाती है | पपड़ी सी जम जाती है | ||
− | खुरच खुरच के | + | खुरच-खुरच के नाख़ूनों से चमड़ी छिलने लगती है |
− | नाक में | + | नाक में ख़ून की कच्ची बू |
− | और कपड़ों पर कुछ काले काले | + | और कपड़ों पर कुछ काले-काले चकत्ते-से रह जाते हैं |
− | रोज़ सुबह | + | रोज़ सुबह अख़बार मेरे घर |
− | + | ख़ून से लथपथ आता है | |
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19:35, 23 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
सारा दिन मैं खून में लथपथ रहता हूँ
सारे दिन में सूख-सूख के काला पड़ जाता है ख़ून
पपड़ी सी जम जाती है
खुरच-खुरच के नाख़ूनों से चमड़ी छिलने लगती है
नाक में ख़ून की कच्ची बू
और कपड़ों पर कुछ काले-काले चकत्ते-से रह जाते हैं
रोज़ सुबह अख़बार मेरे घर
ख़ून से लथपथ आता है