नया पृष्ठ: <poem>जब लोग गा रहे थे पानी के गीत हम सपनों में देखते थे प्यास भर पानी।…
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नया पृष्ठ: <poem>चौथाई टिड्डी चौथाई फाके का कछु साहूकार का कुछ पटवारी का अब के क…
नया पृष्ठ: <poem>आखा गांव धार्मिक है सुगनी काकी भी आस्तिक है इसी लिए धर्म पालती …
नया पृष्ठ: <poem>सिकी हुई रेत में खड़ा है हरियल सपने लेता खेजड़े का तपस्वी रूंख …
नया पृष्ठ: <poem>आंख उठाये देखता है देवला कभी आसमान को और टटोलता है कभी हरियाली …
नया पृष्ठ: <poem>खूब रोता है धनिया जब पूछती है सात साल की लडली बाबा, कैसी होती है …
नया पृष्ठ: <poem>इस बार होगा जमाना धान से भरेंगे कोठार बाबा करेंगे पीले हाथ मेरे…
नया पृष्ठ: <poem>यह काले-काले झूंपे धोरी के आलस या सूगलेपन का परिणाम नहीं है इनक…
नया पृष्ठ: <poem>सूख-सूख गए सांप-सलीटा बिच्छू-कांटा सब धरती की कोख में; जो निकले थ…
नया पृष्ठ: <poem>इधर-उधर उड़ती सोनचिड़ी से पूछती है खेत की बेकळू कब आएगा गांव से …
नया पृष्ठ: <poem>भूल गई डेडर की जात ऊंचे -ऊंचे स्वर में गाना टर्राना । भूल गई चिड…
नया पृष्ठ: <poem>गांव में आया था उड़ कर कहीं से अखबार का एक पन्ना बूढ़ी काकी ने जि…
नया पृष्ठ: <poem>अब नहीं बचे हाड़ों पर चर्बी और चाम हाडारोड़ी से लौटा है हड़खोरा…
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नया पृष्ठ: <poem>बरसात में नहाई हरी पत्तियां सोनल धूप की छुअन जो मिली दिप-दिप कर…
नया पृष्ठ: <poem>हर आती रूत लाई अपने संग रंग नए पर यह जस-का-तस रहा आजू-बाजू कहीं को…
नया पृष्ठ: <poem>बच्चे स्लेट पर कुछ लिखकर पानी से पोंछ देते हैं एक-सा सुख है उनक…
नया पृष्ठ: <poem>भूल-से ही सही सूख रही किसी शाख पर ठूंठ की फूट आए जो कोंपल कहीं को…
नया पृष्ठ: <poem>दिखती हो बेशक सीधी सीधी नहीं होती लेकिन सड़क कोई कदम-कदम पर होत…
नया पृष्ठ: <poem>तब मस्तमौला मन की मिल्कियात थे ढाई आख्र जिनकी खनक सुन खिंचे आत…
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नया पृष्ठ: <poem>अब कविता लग्र मंडपों कोठों आराध्यगाहों को गीत नहीं होगी। अब नह…
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नया पृष्ठ: <poem>पहली बरसात के साथ ही घरों से निकल पडते हैं बच्चे रचने रेत के घर …
नया पृष्ठ: <poem>कितना अच्छा था वह दिन भले ही अनजाने में लिखे थे और अक्षर भी ढाई …
नया पृष्ठ: <poem>पहले मैं एक सपना था जिसे संजोया तुमने सांसों से साधा दुनिया भर …
नया पृष्ठ: <poem>जितना रचना है उतना मिटना भी है शायद यह अलग बात है रचता हुआ मिटत…
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नया पृष्ठ: <poem>पहली बरसात के साथ ही घरों से निकल पडते हैं बच्चे रचने रेत के घर …
नया पृष्ठ: <poem>नहीं कुछ फर्क नहीं पड़ेगा यदि ये शिलाएं न लगे राम मंदिर में नही…