Last modified on 2 फ़रवरी 2017, at 11:13

हृदय वेदना / श्वेता राय

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:13, 2 फ़रवरी 2017 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

प्रीत तुम्हारी सुधियों में बन हृदय वेदना जगती है

गगन आसरा दे ना पाये
सागर में भी वो न समाये
हाय पीर बिछडन की अब बन नीर नयन से बहती है
प्रीत तुम्हारी सुधियों में बन हृदय वेदना जगती है

हो गया सूना जीवन मेरा
सपनो का अब रहा न डेरा
जाते तेरे पग की ध्वनि अब बन लय धड़कन बजती है
प्रीत तुम्हारी सुधियों में बन हृदय वेदना जगती है

सुन के विरही मन की पुकारें
दर्द की राहें बाँह पसारे
काली नीरव तम भरी रजनी अब बन नागिन डसती है
प्रीत तुम्हारी सुधियों में बन हृदय वेदना जगती है...