प्यास भी एक समन्दर है समन्दर की तरह
जिसमें हर दर्द की धार
जिसमें हर ग़म की नदी मिलती हैं
और हर मौज
लपकती है किसी चाँद से चेहरे की तरफ़
प्यास भी एक समन्दर है समन्दर की तरह
जिसमें हर दर्द की धार
जिसमें हर ग़म की नदी मिलती हैं
और हर मौज
लपकती है किसी चाँद से चेहरे की तरफ़