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उडीक / शिवराज भारतीय

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उडीकतां-उडीकतां
थकगी आंख्यां
सूकग्यो हलक
कसीजग्यो ताळुवो
पड़पड़ाइजग्या होंठ
धरती अर
मिनख रा
पण हाल ई
नीं दीसी बादळी।

उडीकतां-उडीकतां
पीळा पड़ग्या पान
चिड़मिड़ाइजग्यो धान
रूंवाळी निठगी‘र
खेत रै उणियारै
उडती दीसै भूर
पण हाल ईं
नीं दीसी बादळी।

उडीकतां-उडीकतां
आंतड्यां
गावण लागगी हरजस
पिंजर बणग्यो
डील
चालतां नै
आवै कोनी चाल
टाबरां अर डांगरा रा
गिणल्यौ भलैई
हाड-हाड
हे रामजी !
अब तो बिरखा काढ़।