भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मन री मुराद / भंवर भादाणी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:36, 16 अक्टूबर 2013 का अवतरण
म्हारी
आ मन री मुराद
कै-सबद
चमकै
सूरज दांई,
लालचुट हुवै
जळते खीरा दांई,
खून दौड़े
रगत में
हर सबद रै,
खुभै
भाले दांई
अर
विष-बाण बणै
बैरयां खातर ।