भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रीत-5 / विनोद स्वामी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:38, 18 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

किणी मोटी दावत सूं
कम थोड़ी ही आ बात !
तूं आग जगाई
अर चा पीवण सारू
मारयो हेलो।
साची,
धुवैं ज्यूं उड जांवतो म्हारो थकेलो।