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प्रीत-5 / विनोद स्वामी
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किणी मोटी दावत सूं
कम थोड़ी ही आ बात !
तूं आग जगाई
अर चा पीवण सारू
मारयो हेलो।
साची,
धुवैं ज्यूं उड जांवतो म्हारो थकेलो।