Last modified on 9 दिसम्बर 2011, at 22:11

क्लासिक की तरह / अमिता प्रजापति

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:11, 9 दिसम्बर 2011 का अवतरण (Magghu (Talk) के संपादनोंको हटाकर Dkspoet के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वह अपने घर के
बुकशेल्फ़ में
एक क्लासिक की तरह रखी है
जिसे पढ़ना ज़रूरी नहीं
क्योंकि कहानी क्या है... हम सब जानते हैं...
जिसकी धूल क़िताबों के साथ
जब तब साफ़ कर दी जाती है...
हाँ, इसमें कुछ ऎसा है जो
इसे क्लासिक बनाता है
इसकी पंक्तियों में उतरना तो है
इक बार
फिर भी क्या है
घर में ही तो है
अभी तो दुनिया देखनी है