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बीच गाँव से होकर... / ठाकुरप्रसाद सिंह

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बीच गाँव से होकर जाने वाली लापरवाह

तुझे न शायद लग पाती अपने ही मन की थाह

किन्तु फूल जूड़े का मुस्काता है होकर पागल

आँचल किसको बुला रहा है हिला-हिलाकर बाँह ?