भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक कहै हँसि उधवजू! / तोष
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:16, 4 अक्टूबर 2012 का अवतरण
एक कहै हँसि उधवजू!ब्रज की जुवती तजि चंद्रप्रभा सी.
जाय कियो कहँ तोष प्रभू!इक प्रानपिया लहि कंस की दासी.
जो हुते कान्ह प्रवीन महा सो हहा!मथुरा में कहाँ मतिनासी.
जीव नहीं उबियात जबै ढिग पौढ़ति हैं कुबिजा कछुआ सी?