Last modified on 4 अक्टूबर 2012, at 16:28

लोचन चपल कटाच्छ सर / कृपाराम

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:28, 4 अक्टूबर 2012 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

लोचन चपल कटाच्छ सर, अनियारे विषपूरि.
मन मृग बेधें मुनिन के,जगजन सहत बिसूरि.

आजु सवारे हौं गई,नंदलाल हित ताल.
कुमुद कुमुदनी के भटू निरखे औरे हाल.

पति आयो परदेस तें,ऋतु बसंत को मानि.
झमकि झमकि निज महल में,टहलैं करै सुरानि.