भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पत्र लिखा किसने गुमनाम / राजकुमारी रश्मि
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:56, 7 अक्टूबर 2012 का अवतरण
पत्र लिखा किसने गुमनाम,
छोड़ दिया हाशिया तमाम.
टेढ़े-मेढ़े अक्षर उलझी आकृतियाँ
जिनसे हैं गूँज रहीं अनगिन प्रतिध्वनियाँ
दूर एक कोने में लिखा है प्रणाम.
स्याही को काग़ज़ पर ऐसे है बिखराया
बादलों के घेरे से कूदता हिरन आया
गमले में अँकुराया नन्हा-सा पाम.
जैसे ही किरणों का बढ़ा एक पाँव
देहरी से पहले ही ठिठक गई छाँव
एक साथ मिलीं सुबह-दोपहरी-शाम.
सुधियों के दंश कभी हल्के कभी गहरे
अंग-अंग मुरकी ले पोर-पोर लहरे
भावनायें काँप रहीं होकर उद्दाम.
थका हुआ बालक दे कंकड़िया फेंक
ऐसे ही बिखर गये प्रश्न भी अनेक
धुँधलाई दृष्टि, जहाँ लगा था विराम.