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कमलमुख खोलौ आजु पियारे / ललित किशोरी

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कमलमुख खोलौ आजु पियारे।

बिगसित कमल कुमोदिनि मुकलित, अलिगन मत्त गुँजारे।
प्राची दिसि रबि थार आरती लिये ठनी निवछारे॥

ललितकिसोरी सुनि यह बानी कुरकुट बिसद पुकारे।
रजनी राज बिदा माँगै बलि निरखौ पलक उघारे॥