भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कमलमुख खोलौ आजु पियारे / ललित किशोरी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:49, 21 मई 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कमलमुख खोलौ आजु पियारे।

बिगसित कमल कुमोदिनि मुकलित, अलिगन मत्त गुँजारे।
प्राची दिसि रबि थार आरती लिये ठनी निवछारे॥

ललितकिसोरी सुनि यह बानी कुरकुट बिसद पुकारे।
रजनी राज बिदा माँगै बलि निरखौ पलक उघारे॥