भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भूल गये मोबाईल / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:51, 29 जून 2014 का अवतरण
आफिस जाते जाते भालू ,
भूल गये मोबाईल|
मार किसी ने टक्कर उनको,
किया सड़क पर घायल|
कैसे हाय हलो कर पाते,
कैसे हाल बताते|
किसी तरह वापिस घर आये,
रोते और चिल्लाते|
अब तो रस्सी डाल गले में ,
मोबाईल को बांधा|
फिर न भूलेंगे मोबाईल ,
किया सभी से वादा|