भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कविता / मोती बी.ए.

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:13, 20 मई 2015 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जबले जीयत रही
लकड़ी लगावत रही
आपन चिता
अपने हाथे सुलगावते रही।
22.08.96