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प्रार्थना - 2 / प्रेमघन

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आस पूरिबे की याही आस है तुही सों तासो,
आन सो न जाँचिबे की आन ठानी प्रन है।
तेरे ही प्रसाद पाई सुजस बड़ाई तू ही,
जीवन अधार याहि जीवन को धन है॥
दीजै दया दान सनमान सों कृपा के सिंधु,
जानि आपनो अनन्य दास खास जन है।
चूक न बिचारो या बिचारे की सु एकौ प्यारे,
इच्छा बारि बाहक तिहारो प्रेमघन है।