घेरी-घेरी आबै मदमस्त बदरिया राम!
पुलकित नीलम, बिहँसै बदरिया,
जैसनॅ घूंघट ओट बहुरिया,
सिहरि-सिहरि काँपै नभ-आँचल
पवन परत-रस छलकै गगरिया राम!
रस सिंचित धरती हरियाबै
बीज-बीज अंकुर अकुलाबै,
बंद आंख, डोलै नव कलिका
रुप गंध मधु बरसै डगरिया राम!
दूध घोलॅ छिटकै चांदनियां,
सगर रात रोपै रोपनियाँ,
गाबै गीत, रात शरमाबै
घर नहिं आबै बलम परदेशिया राम!