भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दुलहन धरती / अचल भारती
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:54, 14 जुलाई 2017 का अवतरण
पिया बादल मारै छै ऊपर सें कनखी
हो घुंघ्ज्ञट सें झांकै छै दुलहन-धरती।
आमॅ के मंजर टिकोल भेलै
कालकॅ बतास जे जवान होलै
होली ऐलै कि थिरकलै कदम
ननद! भी गलै चुनर उलझै बक्ती
पिया बादल मारै छै ऊपर से कनखी
हो घूंघट से झांकै छै दुलहन-धरती।