भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रास्ते / आत्मा रंजन
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:25, 20 अगस्त 2020 का अवतरण
डिगे भी हैं
लड़खड़ाए भी
चोटें भी खाई कितनी ही
पगडंडियां गवाह हैं
कुदलियों, गैंतियों
खुदाई मशीनों ने नहीं
कदमों ने ही बनाए हैं -
रास्ते!