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जाने से पहले / जयप्रकाश मानस
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डेरा उसाल अनदेखे ठिकाने के लिए
जाने से पहले समेटना है
ठिन ठिनिन ठिन घंटियों के बोल पर
झूमते गाते पेड़
लहलहाते पेड़
मरकत द्वीप-जैसे डोंगरी के
आदिवासी पेड़
समुद्री छाँव में घन-सघन वृक्षों की
सुस्ता रहे थके मांदे अजनबी कुछ लोग
कुछ मीठी नींद में खर्राटे भर रहे
बह रहे सपने अलस पलकों में
कि उसमें जुड़ रहे कुछ लोग
रोचक लोग,
रोचक बातचीत,
जनकथाएँ
रोचक आस्था-विश्वास
इतनी सारी चीज़ें छोड़ जानी है
कुछ ज़्यादा ही तादाद में
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