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कुछ क़तआत / नज़्म तबा तबाई

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कहाँ तक रास्ता देखा करें हम बर्के़-खिरमन का।
लगाकर आग देखेंगे तमाशा अब नशेमन का॥

अदाये-सादगी में कंघी-चोटी ने ख़लल डाला।
शिकन माथे पे, अबरू में गिरह, गेसू में बल डाला॥

आ गया फिर रंमज़ाँ, क्या होगा।
हाय ऐ पीरेमुग़ाँ! क्या होगा॥

अहसान ले न हिम्मते-मर्दाना छोड़कर।
रस्ता भी चल तो सब्ज़ये-बेगाना छोड़कर॥