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अपनी महफ़िल / कन्हैयालाल नंदन

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अपनी महफ़िल से ऐसे न टालो मुझे
मैं तुम्हारा हूँ, तुम तो सँभालो मुझे

ज़िंदगी! सब तुम्हारे भरम जी लिए
हो सके तो भरम से निकालो मुझे

मोतियों के सिवा कुछ नहीं पाओगे
जितना जी चाहे उतना खँगालो मुझे

मैं तो एहसास की एक कंदील हूँ
जब भी चाहो बुझा लो, जला लो मुझे

जिस्म तो ख़्वाब है, कल को मिट जाएगा
रूह कहने लगी है, बचा लो मुझे

फूल बन कर खिलूँगा, बिखर जाऊँगा
ख़ुशबुओं की तरह से बसा लो मुझे

दिल से गहरा न कोई समंदर मिला
देखना हो तो अपना बना लो मुझे