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सदस्य वार्ता:Shrddha

Kavita Kosh से
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कविता कोश में वार्तालाप

नमस्कार,


कविता कोश में सदस्यों के बीच वार्तालाप को सुचारु बनाने के उद्देशय से मैनें एक लेख लिखा है। कृपया इसे पढ़ें और इसके अनुसार कोश में उपलबध वार्तालाप सुविधाओं का प्रयोग करें। हो सकता है कि आप इन सुविधाओं का प्रयोग पहले से करते रहें हों -फिर भी आपको यह लेख पूरा पढ़ना चाहिये ताकि यदि आपको किसी सुविधा के बारे में पता नहं है या आप इन सुविधाओं का प्रयोग करने में कोई त्रुटि कर रहे हैं तो आपको उचित जानकारी मिल सके।


यह लेख सदस्य वार्ता और चौपाल का प्रयोग नाम से उपलब्ध है।


शुभाकांक्षी

--सम्यक १६:०४, २६ सितम्बर २००९ (UTC)

श्रद्धा जी! आप ने KKCatKavita से परिचित कराया इसके लिए आपका धन्यवाद। जानकर खुशी हुई कि आप विदेश में रहकर भी हिन्दी से इतनी जुड़ी हुई हैं और इसके प्रचार-प्रसार में लगी हुई हैं। सादर --धर्मेन्द्र कुमार सिंह

एक रचना एक से अधिक संग्रहों में...

नमस्कार,


पिछले दिनों अमिताभ जी, श्रद्धा और धर्मेन्द्र कुमार को कविता कोश में रचनाएँ जोड़ते समय एक समस्या का सामना करना पड़ा था। यदि एक ही रचना किसी कवि के एक से अधिक संग्रहों में प्रकाशित हुई हो तो क्या उस रचना को हर संग्रह के लिये अलग-अलग टाइप करना चाहिये? इसका जवाब है "नहीं"...


आज मैनें KKRachna टैम्प्लेट के कोड में कुछ बदलाव किये हैं। इससे अब आप किसी भी रचना को एक से अधिक संग्रहों का हिस्सा बता सकते हैं। इसके लिये आपको संग्रहों के नामों को सेमी-कोलन (;) से अलग करना होगा। उदाहरण के लिये:


{{KKRachna
|रचनाकार=सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
|संग्रह=परिमल / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला";अनामिका / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
}}


इस उदाहरण में रचना को 2 संग्रहों (परिमल / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" और अनामिका / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला") का हिस्सा बताया गया है। ध्यान दीजिये कि दोनों संग्रहों के नाम सेमी-कोलन (;) से अलग किये गये हैं। इस तरह ज़रूरत पड़ने पर आप किसी रचना को कितने भी संग्रहों का हिस्सा बता सकते हैं।


इस सुविधा का प्रयोग होते हुए आप यहाँ देख सकते हैं: मित्र के प्रति / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"


आशा है आपको यह सुविधा उपयोगी लगेगी।


सादर


--सम्यक २१:३५, १९ अक्टूबर २००९ (UTC)

वार्ता में उत्तर देना...

यदि आप किसी सदस्य के वार्ता पन्ने पर पहले से लिखे हुए किसी संदेश के जवाब में कुछ कहना चाहती हैं -तो आपको कोलन का प्रयोग करना चाहिये। उदारहण के लिये:

संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश संदेश

संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर संदेश का उत्तर
संदेश का एक और उत्तर

--सम्यक १५:३२, २६ अक्टूबर २००९ (UTC)

बधाई!

कविता कोश में 25,000 पन्नें पूरे होने के अवसर पर आपके सहयोग के लिये धन्यवाद और इस उपलब्धि पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई!

शुभाकांक्षी

--सम्यक ०५:१७, २१ नवम्बर २००९ (UTC)

श्रद्धा जी! सामधेनी संग्रह की जिस कविता का नाम आपने बदला है वह वास्तव में "दीख" ही है, "दिख" नहीं। अतः मैं पुराने अवतरण को पूर्ववत कर रहा हूँ। सादर--धर्मेन्द्र कुमार सिंह

क्या करें श्रद्धा जी, कविता का प्रवाह बनाये रखने के लिए कई बार शब्दों को अपने हिसाब से तोड़ना-मोड़ना पड़ता है। "दिनकर" जी ने भी यही किया है। सादर--धर्मेन्द्र कुमार सिंह

अनुवादित रचनाओँ का योगदान

नमस्कार,

मैं कविता कोष में नवीन आगन्तुक हूँ अत: एक विषय पर आपकी सहायता चाहता हूँ| कविता कोश में अनुदित रचनकारों की सूची में मैं अंग्रेज़ी से स्वयं अनुवदित रचनाओं का योगदान करना चाहता हूँ | क्या मुझे ऐसा करने की अनुमति है? धन्यवाद! --Saatwik 13:09, 5 फरवरी 2010 (UTC)