भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

काली नाम तोहार हे जननी!… / मैथिली

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:00, 22 सितम्बर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

काली नाम तोहार हे जननी!… काली नाम तोहार
जाही दिन अवतार भयो है पर्वत पर असवार हे जननी!
ताही दिन महिषासुर मारल सब देवन करथि पुकार हे जननी!
कलयुग द्वापर त्रेता सतयुग सब युग नाम तोहार हे जननी!
तुलसीदास प्रभु तुम्हरे दरस को गले में मुण्ड के माल हे जननी!


यह गीत श्रीमती रीता मिश्र की डायरी से