चौपाल
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चौपाल की पुरानी बातें |
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achha hai. naam se hi kavita kosh hai. kahani kosh banane ki kisi prakar ki pahle ki baat aapne sochi hai?
Lalit Karma lalitkarma@rediffmail.com
स्वागत
कविता कोश में नये योगदानकर्ताओं का हार्दिक स्वागत है। कुछ कारणवश मैं पिछले कुछ दिन से कोश में कोई काम नहीं कर पाया। मैनें आज ही फिर से कार्य आरम्भ किया है। नये सदस्यों में प्रतिष्ठा जी का योगदान बहुत सराहनीय है। बहुत से नये सदस्य कोश के साथ जुड़े हैं। यह देख कर प्रसन्नता होती है। सामूहिक प्रयास से ही कविता कोश की प्रगति सम्भव है। आपका मित्र ----Lalit Kumar ११:५९, ७ सितम्बर २००७ (UTC)
हम कविता कोश के सदस्य, पाठक और योगदानकर्ता पूरे दो महीने बाद कविता कोश के सम्पादक और सिसओप भाई ललित कुमार की घर वापसी का स्वागत करते हैं । ललित जी दो महीने बीमार रहे और कोश का नाम नहीं देख पाए । अब लौट कर आए हैं । वे अब भी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं लेकिन कविता कोश को अपना समय दे रहे हैं, इसके लिए हम उनके हार्दिक आभारी हैं और कामना करते हैं कि वे जल्दी से जल्दी पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएँ ताकि कोश को अधिक से अधिक समय दे सकें । कोश का सारा तकनीकी काम वे अकेले ही देखते हैं ।
----सदस्य: अनिल जनविजय। अनिल जनविजय१७:४६' ८ सितम्बर २००७ (UTC)
- धन्यवाद अनिल जी। अब कोश का काम तेजी से आगे बढा़ने की कोशिश करेंगे ताकि पिछले दिनों हुए कम काम की भरपाई हो सके। क्या आपको कनुप्रिया के सभी सर्गों की सिलसिलेवार सूची मिली? --Lalit Kumar १३:०८, ९ सितम्बर २००७ (UTC)
Lalit jii, mai kshmaa chaahtaa hun ki ab tak "kanupriyaa" mujhe nahin milii hai. lekin mai bhaartiijii kii kuchh duusrii lambii kavitaayen Kavitaa Koshmen daalne vaalaa hun. -- anil janvijay17.46, 19 sitambar 2007 (UTC)
श्री ललित जी, पिछले महीने ही मुझे कविता कोश का पता चला। आपके प्रयास के लिये साधुवाद । मेरा एक सुझाव है कि कुछ कवितायें/अंश जिनके कवि का नाम अज्ञात है,उन्हें अज्ञात या मुक्तक के नाम से रखा जा सकता है ।अगर किसी सदस्य को उस पद्य/पद्यांश के कवि का नाम मालूम हो तो वे उसे सही जगह लगा दें ।*** संजीव द्विवेदी*(sandwivedi) * २६/९/२००७
- मित्रों, हमारे कविता-कोश की नई और महत्त्वपूर्ण सदस्य बनी हैं प्रतिष्ठा जी । उन्होंने पिछले कुछ ही दिनों में इतना ज़्यादा और इतना अच्छा काम किया है कि हमें उनकी गति देखकर आश्चर्य होता है और गर्व भी । लगता है, जल्दी ही वे हम सभी को बहुत पीछे छोड़ देंगीं । प्रतिष्ठा जी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ । चलिए, आइए, उनसे एक स्वस्थ प्रतियोगिता करें और यह देखें कि कौन आगे रहता है ।
----सदस्य: अनिल जनविजय। अनिल जनविजय२३:३९' २६ सितम्बर २००७ (UTC)