भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सीख / विनोद स्वामी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:18, 18 अक्टूबर 2013 का अवतरण
बाबै नै
पसीनै सूं
हळाडोब हुयोड़ो देख
बरसणो सीख लियो मेह।