भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पै‘लापै‘ल (5) / सत्यप्रकाश जोशी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:32, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण
आज अंबर रा लिलाड़ माथै
चळापळ तारां री
अणगिण टीकियां
पळपळावै, चमचमावै, मुसकरावै।
पण पै‘लापै‘ल
जद थूं म्हारैं आंटीलै भंवारां बीच
रतनालै हींगळू री
टीकी देवण लाग्यो
तौ म्हैं छळगारी लाज रै फरमांण
माथौ नीचौ कर लीनौ।