भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अबकै अदीतवार / मदन गोपाल लढ़ा

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:15, 16 अक्टूबर 2013 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सोम सूं थावर तांई
सिटी बस रै लारे भाजतां
सेंसेक्स रै उतार-चढ़ाव री
गणित सागै माथो मारतां
कंप्यूटर रै की-पेड सूं
बाथेंडो करतां
म्हैं धापग्यो काठो,
अबकै अदीतवार
म्हैं देखणो चावूं
जूनै एलबम री फोटुआं
बांचणो चावूं
कॉलेज जीवण री डायरी
अर तिप्पड़ माच ढाळ‘र
चांदणी रात में सुणनो चावूं रेडियो।