ललित जी, दिनकर जी की एक ही कविता को दो अलग-अलग शीर्षकों नमन करूँ मैं और मेरे प्यारे देश के अन्तर्गत कविता कोश में उपलब्ध है, मेरे विचार से इनमें से एक को हटाया जा सकता है. 'नमन करूँ मैं' कविता कोश में पहले जोड़ी गई थी और 'मेरे प्यारे देश' बाद में.
--अमित ०९:०७, २ जून २००७ (UTC)
अमित जी, कोश में एक और ग़लती की ओर ध्यान दिलाने के लिये धन्यवाद। इसी तरह के प्रयासों से कविता कोश की गुणवत्ता और भी बेहतर बन सकेगी। इन दोनो रचनाओं में से एक हटाया जा सकता है -लेकिन किसे हटाया जाये -इसके बारे में में कुछ निश्चित नहीं कर पा रहा हूँ। रचना एक ही है -हमें ये देखना होगा कि शीर्षक कौन सा सही है। --Lalit Kumar ०९:१७, २ जून २००७ (UTC)
ललित भाई, मेरे विचार से "नमन करूँ मैं" को रखना अच्छा रहेगा. मैंने बहुत पहले भी इस रचना को "नमन करूँ मैं" के नाम से ही पढ़ा है. बाकी जैसा आप और पूर्णिमा जी समझें. --अमित १२:०९, २ जून २००७ (UTC)