भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उजास रा सुपना(कविता) / शिवराज भारतीय
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:00, 18 अक्टूबर 2013 का अवतरण
काळी-कामळी ओढ़‘र आई
रात अंधारी
ल्याई जगमग तारां री आ
छिब निरवाळी
घोर अंधारी रात मावस री।
कांई नीं सूझै
नीं दिसै
हाथ नै हाथ
मांयलो जीव अमूंझै
चम-चम्/चम-चम्/तारा चमकै
मनड़ो मौ‘वै
पळ-पळ, पळ-पळ
पळका मारै
मारग जोवै
जाणै कठै लुकग्यो
चांदो
सूरज छिपग्यो
किरत्यां री क्यारी में
कोरो
काळस बसग्यो
मुळक-मुळक
तारा ज्यूं
नूंवों जोस जगावै
हीरा-मोत्यां रो थाळ
धरा
आभौ छिटकावै
मती अमूंझै जीव
रात
सुख रो पगफेरो
घोर अंधारै में
उजास रा
सुपना हेरो।