प्यार में पहले तो इनकार से डर लगता है
और फिर वादा-शिकन यार से डर लगता है
साथ तो हैं मेरे लिपटा रहे हैं दामन से
फूल ये कैसे कहे खार से डर लगता है
तुम में और हम में हमेशा से ये ही फर्क रहा
जीत से हम को तुम्हें हार से डर लगता है
हर तरफ बिखरी हुई खून से लथपथ खबरें
अब हमें सुब्ह के अखबार से डर लगता है
नाखुदा से कोई उम्मीद नहीं है बाक़ी
अब हमें वाकई मंझधार से डर लगता है
जीत के ख्वाब से बहलाते रहे हैं दिल को
हाँ हकीकत में हमें हार से डर लगता है