रसना राम राम कह जारी,
कौन जात है हारी।
जौ हरनाम सजीवन बूटी,
खात बनै तो खारी।
काँलों दिन उर रात सिखइये,
बऔ जात बिरथाँरी।
ईसुर हमना कोउ तुमाये
तैनाँ कोउ हमारी।
रसना राम राम कह जारी,
कौन जात है हारी।
जौ हरनाम सजीवन बूटी,
खात बनै तो खारी।
काँलों दिन उर रात सिखइये,
बऔ जात बिरथाँरी।
ईसुर हमना कोउ तुमाये
तैनाँ कोउ हमारी।