Last modified on 24 अक्टूबर 2009, at 12:37

तुम्हारी याद / हरजेन्द्र चौधरी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:37, 24 अक्टूबर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरजेन्द्र चौधरी |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> कभी फुहार क…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कभी फुहार
कभी बूँदाबाँदी
कभी मूसलाधार
आती ही रहती है
बिना रुके लगातार...

अथाह घाटियों से उठती घटाएँ
भिगोती रहती हैं मन की पगडंडियाँ
निकलती रहती हैं मेरे बीचोबीच

गड़गड़ाती है कौंधती है
बिजली-सी
शिरा-शिरा चौंधती है
तैरता रहता है आत्मा में अनहद नाद

हरी कोंपल की तरह
कोमल रखती है मुझे
पहाड़ी बारिश-सी तुम्हारी याद...


रचनाकाल : मार्च 1993, शिमला