बाज़ार से गुजरते हुए घिर रही है सारी धरती सामान के अंबार से दुकानों में बदल रहे हैं घर बाजार बन रही है दुनिया अब कहां रहेंगे वो लोग जो भरे हैं इंसानियत और प्यार से 1997