बाज़ार से गुजरते हुए
घिर रही है सारी धरती
सामान के अंबार से
दुकानों में बदल रहे हैं घर
बाजार बन रही है दुनिया
अब कहां रहेंगे वो लोग
जो भरे हैं
इंसानियत और प्यार से
1997
बाज़ार से गुजरते हुए
घिर रही है सारी धरती
सामान के अंबार से
दुकानों में बदल रहे हैं घर
बाजार बन रही है दुनिया
अब कहां रहेंगे वो लोग
जो भरे हैं
इंसानियत और प्यार से
1997