इश्क़ से तबियत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया, दर्द की दवा पायी, दर्द बेदवा पाया । हाले-दिल नहीं मालूम लेकिन इस क़दर यानी, हमने बारहा ढूँढा तुमने बारहा पाया । शोरे-पन्दे-नासेह ने ज़ख्म पर नामक छिड़का, आपसे कोई पूछे, तुमने क्या मज़ा पाया ।
इश्क़ से तबियत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया, दर्द की दवा पायी, दर्द बेदवा पाया । हाले-दिल नहीं मालूम लेकिन इस क़दर यानी, हमने बारहा ढूँढा तुमने बारहा पाया । शोरे-पन्दे-नासेह ने ज़ख्म पर नामक छिड़का, आपसे कोई पूछे, तुमने क्या मज़ा पाया ।