भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यमुना स्तुति/ तुलसीदास

Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:00, 3 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास }} {{KKCatKavita}} <poem> 1यमुना स्तुति, ज्मुना ज्यों …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

1यमुना स्तुति,
ज्मुना ज्यों ज्यों लागी बाढ़न।
त्यों त्यों सुकृत-सुभट कलि भूपहिं, निदरि लगे बहु काढ़न।1।
ज्यों ज्यों जल मलीन त्यों त्यों जमगन मुख मलीन लहै आढ़ न
तुलसिदास जगदघ जवास ज्यों अनघमेघ लगे डाढ़न।2।