Last modified on 1 दिसम्बर 2011, at 13:00

वह भेजता है तुम्हें / अर्जुनदेव चारण


अवतार तो
युग-युगों के बाद
एक बार ही
धारण करता है अपना वेश

वह जानता है यह बात

इसीलिये
बार-बार
तुम्हें भेजता है मां

दुःख भोगने वाला
इसके सिवाय कौन जनमा है
आज तक
इस धरती पर अपनी।
अनुवाद :- कुन्दन माली