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वह भेजता है तुम्हें / अर्जुनदेव चारण
Kavita Kosh से
अवतार तो
युग-युगों के बाद
एक बार ही
धारण करता है अपना वेश
वह जानता है यह बात
इसीलिये
बार-बार
तुम्हें भेजता है मां
दुःख भोगने वाला
इसके सिवाय कौन जनमा है
आज तक
इस धरती पर अपनी।
अनुवाद :- कुन्दन माली