भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मौसम आते जाते हैं / निदा फ़ाज़ली
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:05, 16 नवम्बर 2007 का अवतरण
मौसम आते जाते हैं
रचनाकार | निदा फ़ाज़ली |
---|---|
प्रकाशक | डायमंड पाकेट बुक |
वर्ष | |
भाषा | |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | 159 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता / निदा फ़ाज़ली
- इन्सान में हैवान यहाँ भी है वहाँ भी / निदा फ़ाज़ली
- बदला न अपने आपको जो थे वही रहे / निदा फ़ाज़ली
- सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो / निदा फ़ाज़ली
- हम हैं कुछ अपने लिए कुछ हैं ज़माने के लिए / निदा फ़ाज़ली
- कहीं-कहीं से हर चेहरा तुम जैसा लगता है / निदा फ़ाज़ली
- बेनाम-सा ये दर्द ठहर क्यों नहीं जाता / निदा फ़ाज़ली
- हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी / निदा फ़ाज़ली
- मन बैरागी, तन अनुरागी, क़दम-क़दम दुश्वारी है / निदा फ़ाज़ली
- अपनी मर्ज़ी से कहाँ / निदा फ़ाज़ली