भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रतिकार / मंगलेश डबराल
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:19, 11 जून 2009 का अवतरण
जो कुछ भी था जहाँ-जहाँ हर तरफ़
शोर की तरह लिखा हुआ
उसे ही लिखता मैं
संगीत की तरह ।
(रचनाकाल : 1999)