भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आत्म विश्वास (१) / शिवदीन राम जोशी
Kavita Kosh से
Kailash Pareek (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:38, 22 जून 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवदीन राम जोशी | }} {{KKCatChhand}} <poem> कांहूँ ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
कांहूँ के भरोसो हीरा लाल मणि मोतियाँ को,
कांहूँ के भरोसो बल जोर है जवानी को |
कांहूँ के भरोसो भाई मित्र सगा पुत्रन को,
कांहूँ के भरोसो धाम वाम सुख दानी को |
कांहूँ के भरोसो जप तप व्रत नेम हूँ को,
कांहूँ के भरोसो जोग सुरता सायानी को |
कांहूँ के भरोसो जंत्र तंत्र -मंत्र विद्या हूँ को,
शिवदीन के भरोसो एक संत गुरु ज्ञानी को |