भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मदनाष्टक / रहीम

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:23, 3 सितम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रहीम }} <poem> १. फलित ललित माला वा जव...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

       १.
फलित ललित माला वा जवाहिर जड़ा था .
चपल चखन वाला चान्दनी में खड़ा था .
कटि तट बिच मेला पीत सेला नवेला.
अली, बन अलबेला यार मेरा अकेला .