भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नदी की कहानी / कन्हैयालाल नंदन

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:22, 1 सितम्बर 2013 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यदि इस वीडियो के साथ कोई समस्या है तो
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें

नदी की कहानी कभी फिर सुनाना,
मैं प्यासा हूँ दो घूँट पानी पिलाना।

मुझे वो मिलेगा ये मुझ को यकीं है
बड़ा जानलेवा है ये दरमियाना

मुहबत का अंजाम हरदम यही था
भवर देखना कूदना डूब जाना।

अभी मुझ से फिर आप से फिर किसी
मियाँ ये मुहबत है या कारखाना।

ये तन्हाईयाँ, याद भी, चान्दनी भी,
गज़ब का वज़न है सम्भलके उठाना।